हरदा। लीगल न्यूज
मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा, की अधिकारियों से शिकायत की जाती है, तो उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे उस पर कार्रवाई करें और इसे अनिश्चित काल तक लंबित न रखें। साथ ही अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे मामले पर मैरिट के आधार पर विचार करें और उचित समय पर उचित आदेश पारित करें। मदुरै पीठ के जस्टिस एमएस रमेश ने इस प्रकार देखा, “यह इंगित करने की आवश्यकता नहीं है कि जब भी इस प्रकृति का प्रतिनिधित्व एक वैधानिक प्राधिकरण को किया जाता है, तो प्रतिवादियों का कर्तव्य होता है कि वे मैरिट पर विचार करें और अनिश्चित काल के लिए लंबित रखने के बजाय दूसरे तरीके से उचित आदेश पारित करें। जैसे, वैधानिक प्राधिकरण द्वारा प्रतिनिधित्व पर विचार न करना कर्तव्य की अवहेलना होगा और इसलिए, यह कोर्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों को लागू करने के लिए उचित होगा और उन्हें इस पर एक निर्धारित समय के भीतर ही विचार करने का निर्देश देगा।
3049 धान की गायब बोरी का था मामला
परिवादी ने डिप्टी कलेक्टर/क्षेत्रीय प्रबंधक को याचिकाकर्ता द्वारा किए गए अभ्यावेदन पर विचार करने और मदुरै जिले में स्थित जिला धान खरीद केंद्र में धान की 3,049 गायब बोरियों के बारे में जांच करने का निर्देश देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने प्रतिवादियों को आदेश की प्राप्ति की तारीख से बारह सप्ताह की अवधि के भीतर मैरिट के आधार पर याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर विचार करने और उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया। Also Read – बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपी व्यक्ति को गवाह के पक्षद्रोही होने पर बरी किया।
केस टाइटल: पी अरुमुगम बनाम महाप्रबंधक (प्रशासन) टीएनसीएससी एंड अन्य केस नंबर: डब्ल्यू.पी (एमडी) 9789 of 2022